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Last Updated:August 15, 2025, 13:21 IST
Prime Minister Narendra Modi addressed the nation on 76th Independence Day on Friday.

Read Full Text Of PM Modi's Independence Day Speech
Prime Minister Narendra Modi on Friday delivered his Independence-Day address from the ramparts of the Red Fort in Delhi. His speech was focused on India’s defence strategies and he also launched “Mission Sudarshan Chakra", aimed at neutralising enemy threat and enhancing India’s offensive capabilities.
PM Modi also called for the development of jet engines within the country for India’s fighter aircraft and hinted at reducing dependence on foreign technologies for military requirements.
Here is the Prime Minister’s full speech:
मेरे प्यारे देशवासियों,
आजादी का यह महापर्व 140 करोड़ संकल्पों का पर्व है। आजादी का यह पर्व सामूहिक सिद्धियों का, गौरव का पल है और हृदय उमंग से भरा हुआ है। देश एकता की भावना को निरंतर मजबूती दे रहा है। 140 करोड़ देशवासी आज तिरंगे के रंग में रंगे हैं। हर घर तिरंगा, भारत के हर कोने से चाहे रेगिस्तान हो, या हिमालय की चोटियां, समुद्र के तट हो या घनी आबादी वाले क्षेत्र, हर तरफ से एक ही गूंज है, एक ही जयकारा है, हमारे प्राण से भी प्यारी मातृभूमि का जयगान है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
सन 1947 में अनंत संभावनाओं के साथ, कोटि-कोटि भुजाओं के सामर्थ्य के साथ, हमारा देश आजाद हुआ। देश की आकांक्षाएं उड़ाने भर रही थीं, लेकिन चुनौतियां उससे भी कुछ ज्यादा थी। पूज्य बापू के सिद्धांतों पर चलते हुए, संविधान सभा के सदस्यों ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण दायित्व निभाया। भारत का संविधान जब 75 वर्ष से एक प्रकाश स्तंभ बनकर के हमें मार्ग दिखाता रहा है। भारत के संविधान निर्माता अनेक विद महापुरुष डॉ राजेंद्र प्रसाद, बाबा साहब अंबेडकर, पंडित नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी, इतना ही नहीं हमारी नारी शक्ति का भी योगदान कम नहीं था। हंसा मेहता जी, दक्षयानी वेलायुद्धन जैसी विदुषियों ने भी भारत के संविधान को सशक्त करने में अपनी भूमिका निभाई थी। मैं आज लाल किले के प्राचीर से देश का मार्गदर्शन करने वाले, देश को दिशा देने वाले, संविधान के निर्माताओं को आदरपूर्वक नमन करता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियों,
हम आज डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती भी मना रहे हैं। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत के संविधान के लिए बलिदान देने वाले देश के पहले महापुरुष थे। संविधान के लिए बलिदान, धारा 370 की दीवार गिराकर, एक देश एक संविधान के मंत्र को जब हमने साकार किया, तो हमने डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि दी। लाल किले पर आज कई विशेष महानुभाव उपस्थित हैं, दूर-सुदूर गांव के पंचायतों के सदस्य हैं, ड्रोन दीदी के प्रतिनिधि हैं, लखपति दीदी के प्रतिनिधि है, खेल जगत से जुड़े लोग हैं, राष्ट्र जीवन में कुछ ना कुछ देने वाले यहां महानुभव उपस्थित हैं, एक प्रकार से यहां मेरी आंखों के सामने, मैं लघु भारत के दर्शन कर रहा हूं और टेक्नोलॉजी के माध्यम से विशाल भारत के साथ भी आज लाल किला जुड़ा हुआ है। मैं आजादी के इस महापर्व पर देशवासियों का, विश्व भर में फैलाए हुए भारत प्रेमियों का, हमारे मित्रों का, हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।
साथियों,
प्रकृति हम सब की परीक्षा ले रही है। पिछले कुछ दिनों में प्राकृतिक आपदाएं, भूस्खलन, बादलों का फटना, न जाने कितनी-कितनी आपदाएं हम झेल रहे हैं। पीड़ितों के साथ हमारी संवेदना है, राज्य सरकारें और केंद्र सरकार मिलकर के बचाव के काम, राहत के काम, पुनर्वासन के काम में पूरी शक्ति से जुटे हुए हैं।
साथियों,
आज 15 अगस्त का एक विशेष महत्व भी मैं देख रहा हूं। मुझे बहुत गर्व हो रहा है, आज मुझे लाल किले की प्राचीर से ऑपरेशन सिंदूर के वीर जांबाजों को सैल्यूट करने का अवसर मिला है। हमारे वीर जांबाज सैनिकों ने, दुश्मनों को उनकी कल्पना से परे सजा दी है। 22 अप्रैल को पहलगाम में सीमा पार से आतंकियों ने आकर के जिस प्रकार का कत्लेआम किया, धर्म पूछ-पूछ करके लोगों को मारा गया, पत्नी के सामने पति को गोलियां दी, बच्चों के सामने अपने पिता को मौत के घाट उतार दिया गया, पूरा हिंदुस्तान आक्रोश से भरा हुआ था, पूरा विश्व भी इस प्रकार के संहार से चौंक गया था।
मेरे प्यारे देशवासी,
ऑपरेशन सिंदूर उसी आक्रोश की अभिव्यक्ति है। 22 तारीख के बाद हमने हमारे सेना को खुली छूट दे दी। रणनीति वो तय करें, लक्ष्य वो तय करें, समय भी वो चुने और हमारी सेना ने वो करके दिखाया, जो कई दशकों तक कभी हुआ नहीं था। सैकड़ों किलोमीटर दुश्मन की धरती पर घुसकर के आतंकी हेडक्वार्टर्स को मिट्टी में मिला दिया, आतंकी इमारतों को खंडहर बना दिया। पाकिस्तान की नींद अभी भी उड़ी हुई है। पाकिस्तान में हुई तबाही इतनी बड़ी है कि रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं, नई-नई जानकारियां आ रही हैं।
मेरे प्यारे देशवासियों
हमारा देश कई दशकों से आतंक को झेलता आया है। देश के सीने को छलनी कर दिया गया है। अब हमने एक न्यू नॉर्मल स्थापित किया, आतंक को और आतंकी को पालने-पोसने वालों को, आतंकियों को ताकत देने वालों को, अब हम अलग-अलग नहीं मानेंगे। वो मानवता के समान दुश्मन है, उनके बीच कोई फर्क नहीं है। अब भारत ने तय कर लिया है, कि इन न्यूक्लियर की धमकियों को अब हम सहने वाले नहीं हैं, न्यूक्लियर ब्लैकमेल लंबे अरसे से चला आया है, अब वो ब्लैकमेल नहीं सहा जाएगा। आगे भी अगर दुश्मनों ने ये कोशिश जारी रखी, हमारी सेना तय करेगी, सेना की शर्तों पर, सेना जो समय निर्धारित करे उस समय पर, सेना जो तौर तरीके तय करें उस तौर तरीके से, सेना जो लक्ष्य तय करे उस लक्ष्य को अब हम अमल में लाकर के रहने वाले हैं। हम मुंह तोड़ जवाब देंगे।
मेरे प्यारे देशवासियों,
अब भारत ने तय कर लिया है, खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे। अब देशवासियों को भली-भांति पता चला है कि सिंधु का समझौता कितना अन्यायपूर्ण है, कितना एकतरफा है। भारत से निकलती नदियों का पानी, दुश्मनों के खेत को सींच रहा है और मेरे देश के किसान, मेरे देश की धरती पानी के बिना प्यासी है। ये ऐसा समझौता था, जिसने पिछले 7 दशक से मेरे देश के किसानों का अकल्पनीय नुकसान किया है। अब हिंदुस्तान के हक का जो पानी है उस पर अधिकार सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान का है, हिंदुस्तान के किसानों का है। भारत कतई सिंधु समझौते को, उस स्वरूप को दशकों तक सहा है, उस स्वरूप को आगे नहीं सहा जाएगा। किसान हित में, राष्ट्रहित में, यह समझौता हमें मंजूर नहीं है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
आजादी के लिए असंख्य लोगों ने बलिदान दिए, पूरी जवानी खपा दी, जेलों में जिंदगी गुजारी है, फांसी के तख्त पर लटके हैं, कुछ लेने, पाने, बनने के लिए नहीं, मां भारती के स्वाभिमान के लिए, कोटि-कोटि जनों की आजादी के लिए, गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए और मन में एक ही भाव था, स्वाभिमान।
साथियों,
गुलामी ने हमें निर्धन बना दिया, गुलामी ने हमें निर्भर भी बना दिया, औरों पर हमारी निर्भरता बढ़ती गई। हम सब जानते हैं, आजादी के बाद कोटि-कोटि जनों के पेट भरना बड़ी चुनौती थी, और यही मेरे देश के किसान हैं जिन्होंने खून पसीना एक करके देश के अन्न के भंडार भर दिए। अनाज के संबंध में देश को आत्मनिर्भर बना दिया। एक राष्ट्र के लिए आत्मसम्मान की सबसे बड़ी कसौटी आज भी उसकी आत्मनिर्भरता है।
और मेरे प्यारे देशवासियों,
विकसित भारत का आधार भी है आत्मनिर्भर भारत। जो दूसरों पर ज्यादा निर्भर रहता है, उसकी आजादी पर उतना ही बड़ा प्रश्न चिन्ह लग जाता है और दुर्भाग्य तो तब बन जाता है, जब निर्भरता की आदत लग जाए, पता ही ना चले, हम कब आत्मनिर्भरता छोड़ रहे हैं और कब किसी के निर्भर हो जाते हैं, यह आदत खतरे से खाली नहीं है, और इसलिए प्रतिपल जागरूक रहना पड़ता है आत्मनिर्भर होने के लिए।
और मेरे प्यारे देशवासियों,
आत्मनिर्भरता का नाता सिर्फ आयात और निर्यात, रुपया, पैसे, पाउंड, डॉलर, यहां तक सीमित नहीं है, इतना सीमित अर्थ उसका नहीं है। आत्मनिर्भरता का नाता हमारे सामर्थ्य से जुड़ा हुआ है और जब आत्मनिर्भरता खत्म होने लगती है, तो सामर्थ्य भी निरंतर क्षीण होता जाता है और इसलिए हमारे सामर्थ्य को बचाए रखने, बनाए रखने और बढ़ाए रखने के लिए, आत्मनिर्भर होना बहुत अनिवार्य है!
साथियों,
हमने ऑपरेशन सिंदूर में देखा है, मेड इन इंडिया की कमाल क्या थी। दुश्मन को पता तक ना चला, कि कौन से शस्त्र-अस्त्र हैं, ये कौन सा सामर्थ्य है, जो पलक भर में उनको नष्ट कर रहा है। सोचिए अगर हम आत्मनिर्भर ना होते, तो क्या ऑपरेशन सिंदूर इतनी त्वरित गति से हम कर पाते, पता नहीं कौन सप्लाई देगा नहीं देगा, साजो सामान मिलेगा नहीं मिलेगा, इसी के चिंता बनी रहती। लेकिन हमें मेड इन इंडिया की शक्ति हमारे हाथ में थी, सेना के हाथ में थी, इसलिए बिना चिंता, बिना रुकावट, बिना हिचकिचाहट, हमारी सेना अपना पराक्रम करती रही और यह पिछले 10 साल से लगातार डिफेंस के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर हम एक मिशन लेकर के चलें हैं, उसके नतीजे आज नजर आ रहे हैं।
साथियों,
मैं एक और विषय पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। यह बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है, कि 21वीं सदी टेक्नोलॉजी ड्रिवन सेंचुरी है और जब टेक्नोलॉजी ड्रिवन है और इतिहास की तरफ नजर करें तो पता है इतिहास गवाह है, जिन-जिन देशों ने टेक्नोलॉजी में महारथ हासिल की, वो देश विकास की ऊंचाइयों को पार कर गए, शिखर पर पहुंच गए, आर्थिक शक्ति नए पैमाने पर पहुंचती है। हम जब टेक्नोलॉजी के अलग-अलग आयामों की बात करते हैं। मैं आपका ध्यान आकर्षित करता हूं सेमीकंडक्टर पर, उदाहरण के तौर पर बताता हूं। मैं यहां लाल किले से किसी की भी, किसी सरकार की आलोचना करने के लिए खड़ा नहीं हूं और ना ही मैं करना चाहता, लेकिन देश की युवा पीढ़ी को जानकारी होना भी उतना जरूरी है। हमारे देश में 50-60 साल पहले सेमीकंडक्टर को लेकर के फाइलें शुरू हुई। 50-60 साल पहले फैक्ट्री का विचार चालू हुआ। आप मेरे नौजवान जान करके हैरान हो जाएंगे, आज सेमीकंडक्टर जो पूरी दुनिया की एक ताकत बन गया है। 50-60 साल पहले वो विचार, वो फाइलें अटक गई, लटक गई, अटक गई, सेमीकंडक्टर के विचार की ही भ्रूण हत्या हो गई, 50-60 साल गँवा दिए। हमारे बाद कई देश सेमीकंडक्टर में आज महारत हासिल करके दुनिया में अपनी ताकत को प्रस्थापित कर रहे हैं।
साथियों,
आज हमने उस बोझ से मुक्त होकर के मिशन मोड में सेमीकंडक्टर के काम के आगे बढ़ाया है। 6 अलग-अलग सेमीकंडक्टर के यूनिट्स जमीन पर उतर रहे हैं, चार नए यूनिट्स को हमने ऑलरेडी हरी झंडी दिखा दी है, ग्रीन सिग्नल दे दिया है। और देशवासियों और मेरे खास करके नौजवानों और विश्व भर में भारत की टेक्नोलॉजी की ताकत को समझने वाले लोगों को भी कहना चाहूंगा। इसी वर्ष के अंत तक मेड इन इंडिया भारत की बनी हुई, भारत में बनी हुई, भारत के लोगों द्वारा बनी हुई मेड इन इंडिया चिप्स, बाजार में आ जाएगी। मैं दूसरा उदाहरण देना चाहता हूं, अब ऊर्जा के क्षेत्र में हम सब जानते हैं, कि हम एनर्जी के लिए बहुत सारे देशों पर डिपेंडेंट है, पेट्रोल हो, डीजल हो, गैस हो, लाखों करोड़ रुपए हमें खर्च करके लाना पड़ता है। हमें इस संकट से देश को आत्मनिर्भर बनाना, ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाना बहुत जरूरी है। हमने बीड़ा उठाया और आज 11 वर्ष में सोलर एनर्जी 30 गुणा बढ़ चुकी है। हम नए-नए डेम बना रहे हैं, ताकि हाइड्रो का विस्तार हो और हमें क्लीन एनर्जी उपलब्ध हो। भारत मिशन ग्रीन हाइड्रोजन लेकर के आज हजारों करोड़ रुपए इन्वेस्ट कर रहा है। भविष्य की ऊर्जा को ध्यान में रखकर के, ऊर्जा के क्षेत्रों को ध्यान में रखकर के, भारत न्यूक्लियर एनर्जी पर भी बहुत बड़े इनीशिएटिव ले रहा है। न्यूक्लियर एनर्जी में 10 नए न्यूक्लियर रिएक्टर तेजी से कम कर रहे हैं। 2047 तक, जोकि हमने विकसित भारत का लक्ष्य तय किया है। जब देश की आजादी के 100 साल होंगे, हम परमाणु ऊर्जा क्षमता 10 गुना से भी अधिक बढ़ाने का संकल्प लेकर के आगे बढ़ रहे हैं।
मेरे प्यारे देशवासियों,
रिफॉर्म एक निरंतर प्रक्रिया है, समय अनुकूल परिस्थिति के अनुसार रिफॉर्म्स करते जाना होता है, हम न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में बहुत बड़े रिफॉर्म लेकर के आए हैं। अब हमने प्राइवेट सेक्टर के लिए भी परमाणु ऊर्जा को उसके द्वार खोल दिए हैं, हम शक्ति को जोड़ना चाहते हैं।
मेरे प्यारे देशवासियों,
दुनिया जब आज ग्लोबल वार्मिंग के लिए चिंता करती है, तब मैं विश्व को भी बताना चाहता हूं, कि भारत ने तय किया था, कि हम 2030 तक क्लीन एनर्जी भारत में 50% पहुंचा देंगे। यह लक्ष्य हमारा 2030 तक था। मेरे देशवासियों का सामर्थ्य देखिए, मेरे देशवासियों की संकल्प शक्ति देखिए, मेरे देशवासियों को विकसित भारत बनाने का संकल्प को पूर्ण करने के लिए उनकी दौड़ देखिए, हमने जो लक्ष्य 2030 में तय किया था, वो 50% क्लीन एनर्जी का लक्ष्य 2025 में हमने कर लिया, 5 साल पहले हमने अचीव कर लिया। क्योंकि विश्व के प्रति भी हम उतने ही संवेदनशील हैं, प्रकृति के प्रति भी उतने ही हम जिम्मेदार लोग हैं।
मेरे प्यारे देशवासियों,
बजट का बहुत बड़ा हिस्सा यह पेट्रोल, डीजल, गैस, इन सबको लाने के लिए खर्च होता था। लाखों करोड़ रुपए चले जाते थे। अगर हम ऊर्जा में डिपेंड ना होते तो वो धन मेरे देश के नौजवानों के भविष्य के लिए काम आता, वो धन मेरे देश के गरीबों को गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में काम आता, वो धन मेरे देश के किसानों के कल्याण में काम आता, वो धन मेरे देश के गांव की परिस्थितियों को पलटने के लिए काम आता, लेकिन हमें विदेशों को देना पड़ता था। अब हम आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रहे हैं। देश को विकसित बनाने के लिए हम अब समुद्र मंथन की तरफ भी जा रहे हैं। हमारे समुद्र के मंथन को आगे बढ़ाते हुए, हम समुद्र के भीतर के तेल के भंडार, गैस के भंडार, उसको खोजने की दिशा में एक मिशन मोड में काम करना चाहते हैं और इसलिए भारत नेशनल डीप वाटर एक्सप्लोरेशन मिशन शुरू करने जा रहा है। यह ऊर्जा इंडिपेंडेंट बनने के लिए यह हमारी महत्वपूर्ण घोषणा है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
आज पूरा विश्व क्रिटिकल मिनरल को लेकर के बहुत ही सतर्क हो गया है, उसके सामर्थ्य को लोग भली-भांति समझने लगे हैं। कल तक जिस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं था, वो आज सेंट्रल स्टेज पर आ गया है। हमारे लिए भी क्रिटिकल मिनरल्स में आत्मनिर्भरता बहुत अनिवार्य है। एनर्जी का सेक्टर हो, इंडस्ट्री का सेक्टर हो, रक्षा क्षेत्र हो, टेक्नोलॉजी का हर क्षेत्र हो, आज क्रिटिकल मिनरल्स की टेक्नोलॉजी के अंदर बहुत अहम भूमिका है और इसलिए नेशनल क्रिटिकल मिशन हमने लॉन्च किया है, 1200 से अधिक स्थानों पर खोज का अभियान चल रहा है, और हम क्रिटिकल मिनरल में भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
मेरे प्यारे देशवासियों,
स्पेस सेक्टर का कमाल तो हर देशवासी देख रहा है, गर्व से भरा जा रहा है। और हमारे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन से लौट चुके हैं और आने वाले कुछ दिनों में वो भारत भी आ रहे हैं। हम स्पेस में भी अपने दम पर आत्मनिर्भर भारत गगनयान की तैयारी कर रहे हैं। हम अपने बलबूते पर हमारा अपना स्पेस स्टेशन बनाने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। और पिछले दिनों स्पेस में जो रिफॉर्म किए गए, मुझे बहुत गर्व हो रहा है, मेरे देश के 300 से ज्यादा स्टार्टअप्स अब सिर्फ और सिर्फ स्पेस सेक्टर में काम कर रहे हैं और उन 300 स्टार्टअप्स में हजारों नौजवान पूरे सामर्थ्य के साथ जुटे हैं। ये है मेरे देश के नौजवानों की ताकत और ये है हमारा हमारे देश के नौजवानों के प्रति विश्वास।
मेरे प्यारे देशवासियों,
140 करोड़ भारतवासी 2047 में जब आजादी के 100 साल होंगे, विकसित भारत के संकल्प को परिपूर्ण करने के लिए पूरी ताकत से जुटे हैं। इस संकल्प की पूर्ति के लिए भारत आज हर सेक्टर में आधुनिक इकोसिस्टम तैयार कर रहा है और आधुनिक इकोसिस्टम हर क्षेत्र में हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाएगा। आज मेरा लाल किले की प्राचीर से, मेरे देश के युवा वैज्ञानिकों को, मेरे टैलेंटेड यूथ को, मेरे इंजीनियर्स को और प्रोफेशनल्स को, और सरकार के हर विभागों को भी मेरा आह्वान है, क्या हमारा अपना मेड इन इंडिया फाइटर जेट्स के लिए जेट इंजन हमारा होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? हम फार्मा ऑफ द वर्ल्ड माने जाते हैं। वैक्सीन में हम नए-नए विक्रम स्थापित करते हैं, लेकिन क्या समय की मांग नहीं है, कि हम रिसर्च और डेवलपमेंट में और ताकत लगाएं, हमारे अपने पेटेंट हो, हमारे अपनी बनाई हुई मानव जाति के कल्याण की सस्ते से सस्ती और सबसे कारगर नई-नई दवाइयों की शोध हो, और संकट में साइड इफेक्ट के बिना मानव जाति के कल्याण में काम आए, BioE3 पॉलिसी भारत सरकार ने बनाई है, मैं देश के नौजवानों को कहता हूं आइये, BioE3 पॉलिसी का अध्ययन करके आप कदम उठाइए, देश का भाग्य बदलना है, आपका सहयोग चाहिए।
मेरे प्यारे देशवासियों,
आज आईटी का युग है, डेटा की ताकत है क्या समय की मांग नहीं है? ऑपरेटिंग सिस्टम से लेकर के साइबर सुरक्षा तक, डिप टेक से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक, सारी चीजें हमारी अपनी हो, जिस पर हमारे ही लोगों का सामर्थ्य जुटा हुआ हो, उनकी सामर्थ्य शक्ति का विश्व को परिचय कराएं।
साथियों,
आज दुनिया में सोशल मीडिया कहो, बाकी प्लेटफार्म कहो, दुनिया के प्लेटफार्म पर हम काम कर रहे हैं। दुनिया को हमने दिखा दिया है, यूपीआई का हमारा अपना प्लेटफार्म आज दुनिया को अजूबा कर रहा है। हमारे में सामर्थ्य है रियल टाइम ट्रांजैक्शन में 50% अकेला भारत यूपीआई के माध्यम से कर रहा है। इसका मतलब की ताकत है, क्रिएटिव वर्ल्ड हो, सोशल मीडिया हो, ये जितने भी प्लेटफॉर्म्स हैं, मेरे देश के नौजवानों मैं चुनौती करता हूं, आप आइए हमारे अपने प्लेटफार्म क्यों ना हो, हम क्यों दूसरों पर निर्भर रहें, क्यों भारत का धन बाहर जाए और मुझे आपके सामर्थ्य पर भरोसा है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
जैसे ऊर्जा के क्षेत्र में हम डिपेंडेंट है, वैसा ही देश का दुर्भाग्य है कि फर्टिलाइजर, उसमें भी हमें दुनिया पर निर्भर रहना पड़ता है। मेरे देश के किसान भी फर्टिलाइजर का सही उपयोग कर करके धरती माता की सेवा कर सकते हैं। अनाप-शनाप उपयोग से भी धरती मां को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन साथ-साथ मैं देश के नौजवानों को कहना चाहता हूं, देश के उद्योग जगत को कहना चाहता हूं, देश के प्राइवेट सेक्टर को कहना चाहता हूं, आइए हम फर्टिलाइजर के भंडार भर दें, हम नए-नए तौर तरीके खोजें और भारत की आवश्यकता के अनुसार हम अपना फर्टिलाइजर तैयार करें, हम औरों पर निर्भर ना रहे।
साथियों,
आने वाला युग ईवी का है। अब ईवी बैटरी क्या हम नहीं बनाएंगे, हम निर्भर रहेंगे। सोलर पैनल की बात हो, इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स के लिए जिन-जिन चीजों की आवश्यकताएं है, वो हमारी अपनी होनी चाहिए।
साथियों,
मैं ये इसलिए कहने की हिम्मत करता हूं, क्यों, क्योंकि मुझे देश के नौजवानों के सामर्थ्य पर भरोसा है और भरोसा सिर्फ वह मेरे देश के नौजवान है, इसलिए मात्र नहीं है, कोविड के समय हम बहुत सारी चीजों पर निर्भर थे, जब मेरे देश का नौजवानों को कहा गया, कि वैक्सीन हमारी अपनी चाहिए, देश ने करके दिखाया। कोविन प्लेटफार्म हमारा अपना होना चाहिए, देश ने करके दिखाया। करोड़ों-करोड़ों लोगों की जिंदगी बचाने का काम हमने किया है। वही स्पिरिट, वही जज्बा, हमें जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए अपना सब कुछ देना है, अपना जो बेस्ट है, हमें देखकर के रहना है।
साथियों,
पिछले 11 साल में एंटरप्रेन्योरशिप उद्यमशीलता को बहुत बड़ी ताकत मिली। आज लाखों स्टार्टअप टीयर-2, टीयर-3 सिटी में देश की अर्थशक्ति को, देश के इनोवेशन को, ताकत दे रहे हैं। उसी प्रकार से मुद्रा योजना से हमारे देश के करोड़ों नौजवान उसमें भी हमारी बेटियां करोड़ों-करोड़ों लोग मुद्रा से लोन लेकर के अपना खुद का कारोबार कर रहे हैं। खुद तो अपने पैरों पर खड़े हुए हैं, लेकिन औरों को भी पैरों पर खड़े रहने की ताकत देते हैं। ये भी एक प्रकार से हर व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने का अवसर दे रही है।
मेरे साथियों,
वूमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप, किसी का ध्यान नहीं था, पिछले 10 साल में वूमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप ने कमाल करके दिखाया। आज उनका प्रोडक्ट दुनिया के बाजार में जाने लगे हैं। लाखों करोड़ों का कारोबार हमारे वूमेन सेल फाइल्स ग्रुप कर रहे हैं। मैंने एक बार मन की बात में खिलौने की बात कही थी। हम करोड़ों करोड़ों रुपए के खिलौने विदेश से लाते थे। मैंने ऐसे ही मन की बात में कहा, कि अरे मेरे देश के नौजवानों ऐसा भी करेंगे क्या, खिलौने भी बाहर से लाएंगे और आज मैं गर्व से कहता हूं, कि मेरा देश खिलौने एक्सपोर्ट करने लग गया है। यानी देश के सामर्थ्य को हर प्रकार के अवसर मिले, हर रूकावटों से मुक्ति मिले, उसको सर्वाधिक करने के लिए प्रेरित किया जाए, देश कर सकता है। मैं देश के युवाओं से कहता हूं, आईये आप इनोवेटिव आईडियाज लेकर के आए, आपके आइडियाज को मरने मत देना दोस्तों, आज का आपका आईडिया हो सकता है आने वाली पीढ़ी का भविष्य बना सकता है। मैं आपके साथ खड़ा हूं, मैं आपके लिए काम करने के लिए तैयार हूं, आपका साथी बनकर काम करने को तैयार हूं। आप आईये, हिम्मत जुटाईये, इनीशिएटिव लीजिए। जो युवा मैन्युफैक्चरिंग के बारे में सोचते हैं, आईये आगे बढ़िये। सरकार के नियमों में बदलाव करना है, मुझे बताइए अब देश रुकना नहीं चाहता है। 2047 दूर नहीं है, एक-एक पल की कीमत है और हम एक भी पल गवाना नहीं चाहते दोस्तों।
साथियों,
ये आगे बढ़ने का अवसर है, बड़े सपने देखने का अवसर है, संकल्प के लिए समर्पित होने का अवसर है। जब सरकार आपके साथ है और मैं स्वयं आपके साथ हूं, अब हम नया इतिहास बना सकते हैं।
साथियों,
आज नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन पर बहुत तेजी से कम हो रहा है। हमारे MSMEs उसका लोहा दुनिया मानती है, जो दुनिया में बड़ी-बड़ी चीजें बनती है ना, कुछ ना कुछ तो औजार हमारे देश के MSMEs के द्वारा जाते हैं। बड़े गर्व के साथ जाते हैं, लेकिन हम कंप्रिहेंसिव इंटीग्रेटेड विकास की राह पर जाना चाहते हैं, और इसलिए उनकी शक्ति बढ़े और उसमें भी मैंने पहले एक बार लाल किले से कहा था, जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट। मैं आज कहना चाहता हूं कि हमें विश्व बाजार में अपने सामर्थ्य का लोहा मनवाना है, तो हमें क्वालिटी में निरंतर नहीं ऊंचाइयों को पार करना है, दुनिया क्वालिटी को स्वीकार करती है। हमारी गुणवत्ता सबसे ज्यादा हो और सरकार के भी प्रयास हो, raw मटेरियल की भी उपलब्धि हो, हमारे प्रोडक्शन की कास्ट कैसे कम हो हम उसमें ……..
और साथियों,
हम सभी जो उत्पादन के क्षेत्र में लगे हैं, उन सबका मंत्र होना चाहिए, दाम कम लेकिन दम ज्यादा। हमारी हर प्रोडक्ट का दम ज्यादा हो, लेकिन दाम कम हो, इस भाव को लेकर के हमें आगे बढ़ना है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
आजादी के लिए अनगिनत लोगों ने बलिदान दिए हैं। मैंने पहले भी कहा, जवानी खपा दी, फांसी पर लटक गए, क्यों स्वतंत्र भारत के लिए। 75-100 साल पहले का वो कालखंड याद कीजिए, पूरा देश स्वतंत्र भारत के मंत्र को लेकर के जीता था। आज समय की मांग है, स्वतंत्र भारत का मंत्र लेकर के जीने वालों ने हमें स्वतंत्र भारत दिया। आज 140 करोड़ देशवासियों का एक ही मंत्र होना चाहिए समृद्ध भारत। अगर कोटि-कोटि लोगों के बलिदान से स्वतंत्र भारत हो सकता है, तो कोटि-कोटि लोगों के संकल्प से, पुरुषार्थ से, आत्मनिर्भर बनने से, वोकल फॉर लोकल की बात करने से, स्वदेशी के मंत्र को जापने से, समृद्ध भारत भी बन सकता है, वो पीढ़ी स्वतंत्र भारत के लिए खप गई थी, ये पीढ़ी समृद्ध भारत के लिए नए कदम उठाए यही समय की मांग है। और इसलिए मैं आज बार-बार आग्रह करता हूं और मैं देश के सभी influencers को कहना चाहता हूं। इस मंत्र को आगे बढ़ाने में मेरी मदद कीजिए। मैं सभी राजनीतिक दलों को, राजनेताओं को, सबसे कहता हूं कि आईये, यह किसी राजनीतिक दल का एजंडा नहीं है, भारत हम सब का है, हम मिलकर के वोकल फॉर लोकल, उस मंत्र को हर नागरिक के जीवन का मंत्र बनाएं।
भारत में बनी हुई, भारत के नागरिकों के पसीने से बनी हुई वो चीजें, जिसमें भारत की मिट्टी की महक हो और जो भारत की आत्मनिर्भरता के संकल्प को ताकत देता हो, हम उसी को खरीदेंगे, हम उसी का उपयोग करेंगे, हम उस दिशा में आगे आए, यह हमारा सामूहिक संकल्प हो, देखते ही देखते हम दुनिया बदल देंगे दोस्तों। मैं आज हर छोटे-मोटे व्यापारी को दुकानदार से आग्रह करना चाहता हूं, आपकी भी जिम्मेदारी है, हम छोटे थे हमने बाजार में कभी देखा नहीं क्या, कि शुद्ध घी की दुकान, ऐसे ही लिखा जाता था कि घी की दुकान, लेकिन समय रहते लोग लिखने लगे शुद्ध घी की दुकान। मैं चाहता हूं, देश में ऐसे व्यापारी आगे आए, ऐसे दुकानदार आए, कि यहां स्वदेशी माल बिकता है, वो बोर्ड लगाए। हम स्वदेशी का गर्व करने लगे, हम स्वदेशी मजबूरी में नहीं, मजबूती के साथ उपयोग करेंगे। मजबूती के लिए उपयोग करेंगे और जरूरत पड़ी तो औरों को मजबूर करने के लिए उपयोग करेंगे, यह हमारी ताकत होनी चाहिए। यह हमारा मंत्र होना चाहिए।
मेरे प्यारे देशवासियों,
मुझे बहुत लंबे समय से सरकार में काम करने का अवसर मिला। मैंने कई सारे उतार चढ़ाव देखे हैं। सरकारों की मुसीबतों से भी मैं परिचित हूं, व्यवस्थाओं की मर्यादाओं से भी परिचित हूं, लेकिन उसके बावजूद भी हमारी जिम्मेदारी है कि हम किसी की लकीर को छोटी करने में अपनी ताकत बर्बाद ना करें। मैं बड़े अनुभव से कहता हूं, किसी दूसरे की लकीर छोटी करने के लिए अपनी ऊर्जा हमें नहीं खपानी है, हमें पूरी ऊर्जा के साथ हमारी लकीर को लंबा करना है। हम अगर अपनी लकीर लंबी करते हैं, तो दुनिया भी हमारा लोहा मानेंगी। आज जब वैश्विक परिस्थितियों में आर्थिक स्वार्थ दिनों दिन बढ़ रहा है, तब समय की मांग है कि हम उन संकटों के रोते-बैठने की जरूरत नहीं है, हिम्मत के साथ हम अपनी लकीर को लंबी करें। और मैं 25 साल के शासन के अनुभव से कह सकता हूं, अगर यह रास्ता हमने चुन लिया, हर किसी ने चुन लिया, तो फिर कोई स्वार्थ हमें अपनी चंगुल में नहीं फंसा सकता है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
बीता दशक रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफार्म का रहा है। लेकिन अब हमें और नई ताकत से जुड़ना है। पिछले दिनों हमने कई रिफॉर्म्स किए हैं, एफडीआई हो, इंश्योरेंस कंपनी की बात हो, विश्व की यूनिवर्सिटीज को भारत के अंदर स्थान देने की बात हो, कई रिफॉर्म्स किए हैं। 40000 से ज्यादा अनावश्यक कंप्लायंसेस को हमने खत्म किया है। इतना ही नहीं, 1500 से अधिक पुराने कानून जो बाबा आदम के जमाने के थे, उन सबको हमने खत्म कर दिया है। हमने दर्जनों कानूनों को सरल करने के लिए संसद में जाकर के जनता के हितों को सर्वोपरि रख करके बदलाव किए हैं। इस बार भी हो-हल्ला के बीच लोगों तक बात पहुंची नहीं होगी। लेकिन एक बहुत बड़ा रिफॉर्म इनकम टैक्स एक्ट में हुआ है। करीब 280 से ज्यादा धाराएं हमने समाप्त करने का निर्णय किया है। और साथियों, सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर ही रिफॉर्म नहीं, हमने नागरिक के जीवन को भी आसान बनाने के लिए रिफॉर्म किए हैं। इनकम टैक्स रिफंड की बात हो, रिफॉर्म का परिणाम है। कैशलेस असेसमेंट की बात हो, रिफॉर्म का परिणाम है। 12 लाख तक आज इनकम टैक्स से मुक्ति दे देना, देश का जो भविष्य बनाने में उत्सुक है ऐसे मेरा मध्यम वर्ग का परिवार, आज फुला नहीं समा रहा है, कभी किसी ने सोचा नहीं था कि 12 लख रुपए तक का इनकम टैक्स जीरो कर दिया जाएगा, आज कर लिया है।
जब देश का सामर्थ्य बढ़ता है, तो देशवासियों को लाभ मिलता है। अंग्रेजों के जमाने से दंड संहिता में हम दबे पड़े थे, दंड का भय दिखाकर के जीवन चल रहा था, 75 साल आजादी के ऐसे ही गए, हमने दंड संहिता को खत्म कर दिया, न्याय संहिता को ले आए हैं। न्याय संहिता में भारत के नागरिक के प्रति विश्वास का भाव है। भारत के नागरिक के अंदर अपनेपन का भाव है, संवेदनशीलताओं से भरा हुआ है। हमने रिफॉर्म की यात्रा को तेज करने के लिए बीड़ा उठाया है, हम बहुत तेजी से आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं चाहता हूं देशवासियों, देश के लिए कर रहा हूं, मैं मेरे लिए नहीं कर रहा हूं, किसी का बुरा करने के लिए नहीं कर रहा हूं। मेरे राजनीतिक दल, मेरे प्रतिस्पर्धी साथी भी, देश के इस उज्ज्वल भविष्य के लिए आगे आएं, हमारा साथ दें। स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स की बात हो, रेगुलेटरी रिफॉर्म्स की बात हो, पॉलिसी रिफॉर्म की चर्चा हो, प्रोसेस रिफॉर्म की चर्चा हो, कांस्टीट्यूशनल रिफॉर्म करने की जरूरत हो, हर प्रकार के रिफॉर्म्स, ये आज हम मकसद बनाकर के चले हैं।
और मेरे प्यारे देशवासियों,
नेक्स्ट जनरेशन रिफॉर्म्स के लिए हमने एक टास्क फोर्स गठित करने का निर्णय किया है। यह टास्क फोर्स समय सीमा में इस काम को पूरा करें। वर्तमान नियम, कानून, नीतियां, रीतियां 21वीं सदी के अनुकूल, वैश्विक वातावरण में अनुकूल और भारत को 2047 में विकसित राष्ट्र बनाने के संदर्भ में नए सिरे से तैयार हो और उसका समय सीमा में अपना कार्य पूरा करने के लिए टास्क फोर्स की रचना की है।
साथियों,
इन रिफॉर्म्स के कारण जो नए लोग अपना भविष्य बनाना चाहते हैं उनको तो हिम्मत मिलेगी। हमारे स्टार्टअप्स हो, हमारे लघु उद्योग हो, हमारे गृह उद्योग हो, उन उद्यमियों को उनकी कंप्लायंस कास्ट बहुत कम हो जाएगी और उसके कारण उनको एक नई ताकत मिलेगी। जो एक्सपोर्ट की दुनिया में उनको लॉजिस्टिक सपोर्ट के कारण, व्यवस्थाओं में बदलाव के कारण उनको एक बहुत बड़ी ताकत मिलेगी।
साथियों,
ऐसे-ऐसे कानून हैं हमारे देश में, छोटी-छोटी चीजों के लिए जेल में डालने के कानून हैं, आप हैरान हो जाएंगे, किसी ने नजर नहीं दौड़ाई। मैं पीछे लगा हूं, ये मेरे देश के नागरिकों को जेल में बंद करने वाले जो अनावश्यक कानून हैं, वो खत्म होने चाहिए। हम संसद में पहले भी बिल लाए थे, इस बार भी लेकर के आए हैं।
साथियों,
इस दिवाली में आपके डबल दिवाली का काम मैं करने वाला हूं। इस दिवाली मैं आपको एक बहुत बड़ा तोहफा देशवासियों को मिलने वाला है। पिछले 8 साल से हमने जीएसटी का बहुत बड़ा रिफॉर्म किया, पूरे देश में टैक्स के बर्डन को काम किया, टैक्स की व्यवस्थाओं को सरल किया और 8 साल के बाद समय की मांग है, कि हम एक बार इसको रिव्यू करें, हमने हाई पावर कमेटी को बिठाकर के रिव्यू शुरू किया, राज्यों से भी विचार विमर्श किया।
और मेरे प्यारे देशवासियों,
हम नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी रिफॉर्म्स लेकर के आ रहे हैं, ये दिवाली के अंदर आपके लिए तोहफा बन जाएंगे, सामान्य मानवीय की जरूरत के टैक्स भारी मात्रा में काम कर दिए जाएंगे, बहुत बड़ी सुविधा बढ़ेंगी। हमारे एमएसएमई, हमारे लघु उद्यमी, इनको बहुत बड़ा लाभ मिलेगा। रोजमर्रा की चीजें बहुत सस्ती हो जाएगी और उससे इकोनामी को भी एक नया बल मिलने वाला है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
आज देश तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनने की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ रहा है। हम दरवाजे खटखटा रहे हैं और बहुत तेजी से हम उसको अचीव भी कर लेंगे और कोई तो दिन होगा, मैं आपके बीच जाकर के लाल किले के प्राचीन से यह खबर भी सुनाऊंगा। आज भारत की अर्थव्यवस्था और आर्थिक स्थिति को पूरी दुनिया आश्वस्त है। इतनी अस्थिरता के बीच आशा की किरण बना हुआ भारत का फाइनेंशियल डिसिप्लिन, भारत की फाइनेंस की ऊर्जा। संकट के घेरे में जब अर्थव्यवस्था पड़ी हुई है, तब भारत ही उसे बाहर निकल गया यह भरोसा दुनिया में पनपा है। आज इन्फ्लेशन कंट्रोल में है, फॉरेक्स एक्सचेंज रिजर्व हमारे बहुत मजबूत हैं, हमारे मैक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर्स बहुत मजबूत हैं, ग्लोबल रेटिंग एजेंसी भी लगातार भारत की सराहना करती है, भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा से ज्यादा विश्वास व्यक्त कर रही है। यह बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था का लाभ मेरे देश के गरीबों को मिले, मेरे देश के किसानों को मिले, मेरे देश की नारी शक्ति को मिले, मेरे देश के मध्यम वर्ग को मिले, मेरे देश के विकास धरा को ताकत देने वाला बने, उस दिशा हम नए प्रयास कर रहे हैं।
आज युवाओं के लिए नए-नए सेक्टर्स में हमारे नौजवानों के लिए अवसर बन रहे हैं। स्किल डेवलपमेंट, स्वरोजगार, बड़ी-बड़ी कंपनी में इंटर्नशिप, इस पर एक बहुत बड़े स्तर पर अभियान चल रहा है और इसलिए देश के नौजवानों, आज मैं आपके लिए भी एक खुशखबरी लेकर के आया हूं, मेरे देश के नौजवानों के लिए लाया हूं। आज 15 अगस्त है, आज 15 अगस्त के ही दिन मेरे देश के युवाओं के लिए एक लाख करोड़ रुपए की योजना हम चालू कर रहे हैं, लागू कर रहे हैं। आज से प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना आज ही 15 अगस्त को लागू हो रही है, ये आपके लिए बहुत खुशखबरी है। इस योजना के तहत निजी क्षेत्र में पहले नौकरी पाने वाले नौजवान को बेटे बेटी को 15000 रुपया सरकार की तरफ से दिए जाएंगे। कंपनियों को भी नए रोजगार देने के अवसर जो भी ज्यादा जुटाएगा, उनको भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना करीब करीब साढ़े तीन करोड़ नौजवानों को रोजगार के नए अवसर बनाएगी। मैं सभी नौजवानों को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियों,
आज भारत में नारी शक्ति का लोहा हर कोई मानने लगा है। बढ़ती इकोनॉमी की लाभार्थी हमारी नारी है, लेकिन बढ़ती इकोनॉमी को गति देने में भी हमारी नारी का बहुत बड़ा योगदान भी है, हमारी मातृशक्ति का योगदान है, हमारी स्त्री शक्ति का योगदान है। स्टार्टअप से लेकर स्पेस सेक्टर तक हमारी बेटियां छाई हुई हैं। खेल के मैदान में छाई हुई है, फौज में चमक रही है, आज गर्व के साथ नारे कंधे से कंधा मिलाकर के देश के विकास यात्रा में भागीदार हो रही है। देश गर्व से भर गया, जब एनडीए की वूमेन कैंडिडेट्स उनका पहला पास आउट हुआ था। पूरा देश गर्व से भर गया था, सारे टीवी चैनल उसी के पीछे लगे हुए थे। कितने बड़े गौरव की पल थे । सेल्फ हेल्प ग्रुप, 10 करोड़ सेल्फ हेल्प ग्रुप के बहनें, क्या कमाल कर रही हैं। नमो ड्रोन दीदी नारी शक्ति एक नई पहचान बनी। गांव में मुझे एक बहन मिली, वो कहती मुझे अब तो गांव वाले पायलट कहकर बुलाते हैं। बड़े गर्व से कह रही थी, ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी, लेकिन उसका रुतबा पैदा हुआ है।
साथियों,
हमने 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया था। 3 करोड़ और मुझे संतोष है कि हम तेज गति से कम कर रहे हैं। समय से पहले 3 करोड़ का लक्ष्य पर कर लेंगे और आज मैं खुशी से देश को बताना चाहता हूं, कि मेरी नारी शक्ति का सामर्थ्य देखिए, देखते ही देखते दो करोड़ महिलाएं लखपति दे दी बन चुकी हैं। आज कुछ लखपति दीदी हमारे सामने बैठी हैं। यह हैं मेरा सामर्थ्य, और मेरा विश्वास है दोस्तों, भारत की विकास यात्रा में उनकी भागीदारी बढ़ाने वाली है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
मेरे देश के किसानों का भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। भारत के किसानों की मेहनत रंग ला रही है। पिछले साल अनाज के उत्पादन में, मेरे देश के किसानों ने पुराने सारे विक्रम तोड़ दिए, ये सामर्थ्य है मेरे देश का। उतनी ही जमीन लेकिन व्यवस्थाएं बदली पानी पहुंचने लगा, अच्छे सीड्स मिलने लगे, किसानों को अच्छी सुविधाएं मिलने लगी हैं, तो वो अपना सामर्थ्य देश के लिए बढ़ा रहा है। आज भारत दूध, दाल, जूट जैसे उत्पादन में नंबर वन है दुनिया में। आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फिश प्रोड्यूसर मेरे मछुआरे भाई बहनों के ताकत देखिए, फिश प्रोड्यूसर में दुनिया में हम दूसरे नंबर पर पहुंच चुके हैं। आज भारत चावल, गेहूं,फल और सब्जी के उत्पादन में भी दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है।
साथियों,
आपको खुशी होगी मेरे देश के किसान जो पैदाई देते हैं आज वह उत्पादन दुनिया के बाजार में पहुंच रहा है। 4 लाख करोड़ रूपया एग्रो प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट हुआ है। ये मेरे देश के किसानों ने हमें ताकत दिखाई है। हम छोटे किसान हो, पशुपालक हो, मछुआरे हो, देश के विकास खाने की योजनाओं का लाभ आज हम उन तक पहुंचा रहे हैं। पीएम किसान सम्मान निधि हो, रेन वाटर हार्वेस्टिंग हो, सिंचाई की योजनाएं हो, क्वालिटीज सीड्स हो, फर्टिलाइजर की आवश्यकता हो, हर क्षेत्र में आज और किसान को एक भरोसा हो गया है फसल बीमा का। वह साहसिक बना रहा है, उसका परिणाम भी देश को मिल रहा है। यह पहले कल्पना की बात थी, आज हकीकत बन गई है।
देशवासियों,
हमारे देश के पशुधन को बचाने के लिए, हम एक कोविड की वैक्सीन मुफ्त में मिली वो तो हमें याद है, लेकिन हम पशुधन के लिए भी अब तक 125 डोज मुफ्त में पशुओं को लगा चुके हैं। फुट एंड माउथ एंड डिज़ीज से मुक्ति पाने के लिए जो हमारा यहां उत्तर भारत में उसे खुरपका-मुंहपका बीमारी कहते हैं, उससे बचाने के लिए 125 करोड़ डोज हम लगा चुके हैं और मुफ्त में लगा चुके हैं। हम खेती के मामले में देश के वो जिले जहां के किसान औरों से पीछे रह गए, किसी न किसी कारण से 100 जिले ऐसे हैं, जहां अपेक्षाकृत कम खेती है और इसलिए हमने 100 जिले आईडेंटिफाई किए पूरे देश में से और वहां के किसानों को एमपावर करना, किसानों को शक्ति देना, किसानों को मदद करने का एक अभियान चलाया है, और इसके लिए पीएम धन-धान्य कृषि योजना का आरंभ किया है। पीएम धन-धान्य कृषि योजना वो देश के 100 जिले जहां थोड़ी सी मदद कर देंगे, तो वहां का किसान भी भारत के अन्य किसानों की बराबरी कर देगा।
मेरे प्यारे देशवासियों,
भारत के किसान, भारत के पशुपालक, भारत के मछुआरे, ये हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। भारत के किसान, भारत के मछुआरे, भारत के पशुपालक, उनसे जुड़ी किसी भी अहितकारी नीति के आगे मोदी दीवार बनके खड़ा है। भारत अपने किसानों, अपने पशुपालकों, अपने मछुआरों के संबंध में कभी भी कोई समझौता नहीं स्वीकार करेगा।
प्यारे देशवासियों,
गरीबी क्या होती है, यह मुझे किताबों में पढ़ना नहीं पड़ा है। मैं जानता हूं, सरकार में भी रहा हूं और इसलिए मेरी कोशिश रही है, कि सरकार फाइलों में नहीं होनी चाहिए। सरकार देश के नागरिकों के लाइफ में होनी चाहिए। दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, उनके लिए सकारात्मक रूप से सरकारें प्रोएक्टिव हो, सरकारें प्रो पीपल हो, उस दिशा में हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं। समाज के हर जरूरत व्यक्ति के लिए कुछ लोगों को लगता है, कि सरकार की योजनाएं पहले भी आती थी, जी नहीं, हम सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतार रहे हैं, सैचुरेशन पर बल देते हैं और सामाजिक न्याय का अगर कोई सच्चा से सच्चा एक्जीक्यूशन है, तो सैचुरेशन में है, जिसमें कोई हकदार छूटे नहीं, हकदार के घर तक सरकार जाए और उसे अपने हक की चीजें मिले, उसके लिए हम काम कर रहे हैं।
जनधन अकाउंट जब खोले गए ना, वह सिर्फ बैंक का अकाउंट था ऐसा नहीं है उससे एक स्वाभिमान मिला था, कि बैंक के दरवाजे मेरे लिए भी खुलते हैं, मैं भी बैंक के दरवाजे में जाकर के टेबल पर हाथ रखकर के बात कर सकता हूं, यह विश्वास हमने जगाया है। आयुष्मान भारत ने बीमारी को सहने की आदत से मुक्ति दिलाने का और उनको अच्छे स्वास्थ्य के लिए मदद करने का काम और जब हम वरिष्ठ नागरिकों को ₹500000 से ज्यादा मदद कर करके उनके आरोग्य की चिंता करते हैं, आज पीएम आवास 4 करोड़ गरीबों को घर मिलना, मतलब जिंदगी के नए सपने वहां बसते हैं। वो सिर्फ चार दीवारें नहीं है दोस्तों। रेहड़ी पटरी वालों के लिए पीएम स्वनिधि योजना जो कभी ब्याज के चक्कर में फंसा रहता था, आज पीएम स्वनिधि से रेहड़ी पटरी वाला भी और आपने देखा होगा वह यूपीआई से पैसे लेता है, यूपीआई से पैसे देता है, यह बदलाव आखिरी व्यक्ति तक चिंता, लोगों की लाइफ में सरकार होनी चाहिए, उसी के कारण ये जमीन से जुड़ी योजनाएं बनती हैं और जमीन से जुड़ी योजनाएं जमीन पर उतरती है और जमीन से उतरी हुई योजनाएं जीवन में बदलाव लाने का एक सशक्त माध्यम बन जाती है। एक समय था, गरीब हो, पीड़ित हो, आदिवासी हो, वंचित हो, दिव्यांग हो, हमारी विधवाएं माताएं बहने हो, अपने हक के लिए दर-दर भटकते रहते थे, सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगाते लगाते जिंदगी पूरी हो जाती थी। आज सरकार आपके दरवाजे पर आती है, सैचुरेशन की अप्रोच को लेकर के आती है, करोड़ों लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी काम हुआ है।
साथियों,
गरीबी हटाओ के नारे देश ने बहुत सुने हैं, लाल किले से भी सुने हैं और देश सुन सुन करके थक गया था और देश ने मान लिया था, कि गरीबी हट नहीं सकती है, लेकिन जब हम योजनाओं को गरीब के घर तक ले जाते हैं, विश्वास को गरीब के मन में हम पैदा करते हैं, तो मेरे देश के 25 करोड़ गरीब, गरीबी को परास्त कर करके, गरीबी से बाहर निकल करके एक नया इतिहास बनाते हैं। आज 10 करोड़ गरीब और 10 वर्ष में 25 करोड़ से ज्यादा गरीब ग़रीबी को परास्त कर करके गरीबी से बाहर निकले है और एक नियो मिडिल क्लास तैयार हुआ है।
मेरे साथियों,
यह नियो मिडिल क्लास और मिडिल क्लास एक ऐसी जुगलबंदी है, जिसमें एस्पिरेशन भी है, एफर्ट्स भी हैं, वह देश को आगे बढ़ाने के लिए बहुत बड़ा सामर्थ्य बनने वाली हैं।
मेरे प्यारे देशवासियों,
बहुत ही निकट भविष्य में महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की 200वीं जयंती आ रही है। हम उस जयंती के समारोह शुरू करने जा रहे हैं और महात्मा ज्योतिबा फुले के सिद्धांत, उन्होंने जो मंत्र दिए उसमें हमारे लिए प्रेरणा है- पिछड़े को प्राथमिकता। पिछड़े को प्राथमिकता देते हुए हम परिवर्तन की ऊंचाइयों को प्राप्त करना चाहते हैं। हम इसके लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करना चाहते हैं। हम पारदर्शी नीतियों के द्वारा पिछड़ों को प्राथमिकता, ये हम धरती पर उतारना चाहते हैं, हर पिछड़े के जीवन में उतारना चाहते हैं।
साथियों,
रेहड़ी पटरी वालों के लिए स्वनिधि योजना हो या हमारे हुनर वाले हाथ से काम करने वाले विश्वकर्मा योजना की बात हो आदिवासी में भी जो पिछड़े रह गए हैं उनके लिए पीएम जन मन की योजना की बात हो, हमारे पूर्वी भारत को विकास में पूरे देश के अंदर बराबरी में लाना और उनको नेतृत्व देने की दिशा में काम हो, हम सिर्फ समाज पिछड़े हो, उनकी चिंता में अटकने वाले नहीं है, जो क्षेत्र पिछड़े हैं, उनको भी हम प्राथमिकता देना चाहते हैं। जो जिले पिछड़े रहे हैं हम उनको प्राथमिकता देना चाहते हैं, जो ब्लॉक पिछड़े रहे हैं उनको प्राथमिकता देना चाहते हैं, हमने 100 एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, 500 एस्पिरेशनल ब्लॉक, उसी मिशन में काम किया है। हमने पूर्वी भारत के विकास के लिए हजारों करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट पर बल दिया है, हमने पूर्वी भारत के जीवन को बदलकर के देश की विकास यात्रा में भागीदार बनने का।
मेरे प्यारे देशवासियों,
जीवन के हर क्षेत्र में विकास होना चाहिए। विकास के लिए खेल का भी महत्व होता है। और हमने और मुझे खुशी है कि एक जमाना था जब बच्चे खेल में अगर समय लगाते हैं, तो मां-बाप ज्यादा पसंद नहीं करते थे। आज एकदम से उलट गया है। अगर बच्चे खेलकूद में आगे आते हैं, रुचि लेते हैं, तो मां-बाप गर्व से भर जाते हैं। मैं इसे एक शुभ संकेत मानता हूं। मेरे देश के परिवार के अंदर खेल को प्रोत्साहन का वातावरण में देखता हूं, मेरा मन गर्व से भर जाता है। मैं इसे देश के भविष्य के लिए बहुत शुभ संकेत मानता हूं।
और साथियों,
इस खेल को बढ़ावा देने के लिए हमने नेशनल स्पोर्ट्स पॉलिसी, कई दशकों के बाद हम देश में खेलो भारत नीति को लेकर के आए हैं, ताकि ये खेल जगत का सर्वांगीण विकास का प्रयास हो। स्कूल से लेकर के ओलंपिक तक हम एक पूरा इकोसिस्टम डेवलप करना चाहते हैं, चाहे कोचिंग की व्यवस्था हो, फिटनेस की बात हो, खेल के मैदान हों, खेल की व्यवस्थाएं हो, खेल के लिए आवश्यक साधन हों, लघु उद्योगों को भी खेल के साधन बनाने में मदद करने के बात हो। यानी एक प्रकार से पूरा इकोसिस्टम हम दूर-दराज के बच्चों तक पहुंचाना चाहते हैं।
लेकिन साथियों,
जब मैं फिटनेस की बात करता हूं, जब मैं खेलकूद की बात करता हूं, तब मैं एक चिंता भी आपके सामने रखना चाहता हूं। हमारे देश के हर परिवार को चिंता करनी चाहिए, मोटापा हमारे देश के लिए बहुत बड़ा संकट बनता जा रहा है। आने वाले वर्षों में जो पंडित लोग हैं,वो कहते हैं, जो जानकार लोग हैं,वो कहते हैं, हर तीसरे व्यक्ति में एक व्यक्ति मोटापे का शिकार होगा। हमें मोटापे से बचाना है, ओबेसिटी से बचाना है। और इसलिए मैंने, बाकी सब करना पड़ेगा, लेकिन एक छोटा सा सुझाव दिया था कि परिवार तय करें कि जब खाने का तेल घर में आएगा 10 परसेंट कम ही आएगा और 10 परसेंट कम ही उपयोग करेंगे, और हम ओबेसिटी के खिलाफ लड़ाई को जीतने की दिशा में हम अपना योगदान देंगे।
मेरे प्यारे देशवासियों,
हमारा देश भाग्यवान है, हजारों साल की विरासत के हम धनी हैं, और वो हमें निरंतर ऊर्जा मिलती है, प्रेरणा मिलती है, त्याग और तपस्या की राह मिलती है। आज ये वर्ष, गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीदी वर्ष है, देश की संस्कृति की रक्षा, भारत के मूल्यों की रक्षा के लिए उन्होंने अपना सब कुछ निछावर कर दिया। मैं आज उनको नमन करता हूं।
साथियों,
हमारी संस्कृति की ताकत हमारी विविधता है, हम विविधता को सेलिब्रेट करना चाहते हैं, हम विविधता को सेलिब्रेट करने की आदत बनाना चाहते हैं। यह हमारा गौरव है कि हमारा भारत मां ये बगीचा कितने विविध प्रकार के फूलों से सजा हुआ है, कितने विविधताएं हैं,ये विविधता हमारे लिए एक बहुत बड़ी हमारी विरासत है, बहुत बड़ा गौरव है। हमने प्रयागराज के महाकुंभ में देखा है, भारत की विविधता को कैसे जिया जाता है। एक स्थान पर करोड़ों लोग एक ही भाव, एक ही प्राण, एक ही प्रयास, दुनिया के लिए बहुत बड़ा अजूबा है। महाकुंभ की वो सफलता भारत की एकता के, भारत के सामर्थ्य की दुहाई देती है।
साथियों,
हमारा देश भाषाओं की विविधता से बहुत ही भरा हुआ है, पुलकित है। और इसलिए हमने मराठी, असमिया, बांग्ला, पाली, प्राकृत को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया है। और मेरा मत है, हमारी भाषाएं जितनी विकसित होंगी, हमारी सभी भाषाएं जितनी समृद्धि होगी, हमारे नॉलेज के सिस्टम को भी उतना ही बल मिलने वाला है। और हमारी वो ताकत है, और जब डेटा का जमाना है ना तो ये ताकत दुनिया के लिए भी बड़ी ताकत बन सकती है, इतना सामर्थ्य हमारी लैंग्वेज में है। हमें हमारी सभी भाषाओं पर गर्व होना चाहिए, हमारी सभी भाषाओ के विकास के लिए हर किसी ने बनते हुए प्रयास करना चाहिए।
साथियों,
पांडुलिपि में हमारे ज्ञान के भंडार पड़े है, लेकिन उसके प्रति उदासीनता रही है। इस बार हमने ज्ञान भारतम् योजना के तहत देशभर में जहां भी हस्तलिखित ग्रंथ है, जहां पांडुलिपियां हैं, सदियों पुराने जो दस्तावेज हैं, उनको खोज-खोज करके आज की टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए, उस ज्ञान की समृद्धि को आने वाली पीढ़ियों के लिए काम आए, उस दिशा में काम कर रहे हैं।
मेरे प्यारे देशवासियों,
हमारा स्पष्ट मत है, ये देश सिर्फ सरकारें नहीं बनाती है, ये देश राजसत्ता पर विराजमान लोग ही नहीं बनाते हैं, ये देश शासन की विधा संभालने वाले नहीं बनाते हैं, ये देश बनता है कोटि-कोटि जनों के पुरुषार्थ से, ऋषियों के, मुनियों के, वैज्ञानिकों के, शिक्षकों के, किसानों के, जवानों के, सेना के, मजदूरों के, हर किसी के प्रयास से देश बनता है। हर किसी का योगदान होता है। व्यक्ति का भी होता है, संस्थाओं का भी होता है। आज मैं बहुत गर्व के साथ एक बात का जिक्र करना चाहता हूं। आज से 100 साल पहले एक संगठन का जन्म हुआ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, 100 साल की राष्ट्र की सेवा, एक बहुत ही गौरवपूर्ण स्वर्णिम पृष्ठ है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के संकल्प को लेकर के 100 साल तक मां भारती का कल्याण का लक्ष्य लेकर के लक्ष्यावधि स्वयं सेवकों ने मातृभूमि के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। सेवा, समर्पण, संगठन और अप्रतिम अनुशासन, यह जिसकी पहचान रही है, ऐसा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुनिया का यह सबसे बड़ा एनजीओ है एक प्रकार से, 100 साल का उसका समर्पण का इतिहास है। मैं आज यहां लाल किले के प्राचीर से 100 साल की इस राष्ट्र सेवा की यात्रा में योगदान करने वाले सभी स्वयंसेवकों को आदरपूर्वक स्मरण करता हूं और देश गर्व करता है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इस 100 साल की भव्य, समर्पित यात्रा को और हमें प्रेरणा देता रहेगा।
मेरे प्यारे देशवासियों,
हम समृद्धि की ओर जा रहे हैं, लेकिन समृद्धि का रास्ता सुरक्षा से गुजरता है। पिछले 11 वर्षों में राष्ट्र सुरक्षा, राष्ट्र रक्षा, राष्ट्र के नागरिकों की रक्षा, इन सभी मोर्चों पर हमने पूरे समर्पण भाव से काम किया है। हम बदलाव लाने में सफल हुए हैं। यह देश जानता है कि हमारे देश का बहुत बड़ा जनजातीय क्षेत्र नक्सलवाद की चपेट में, माओवाद की चपेट में पिछले कई दशकों से लहू लुहान हो चुका था। सबसे ज्यादा नुकसान मेरे आदिवासी परिवारों को हुआ। आदिवासी माताओं-बहनों ने अपने सपने के होनहार बच्चों को खो दिया। नौजवान बेटे गलत रास्ते पर खींच लिए गए, भटकाए गए, उनके जीवन को तबाह कर दिया गया। हमने फौलादी हाथ से काम लिया। एक समय था, कभी सवा सौ से ज्यादा जिलों में नक्सलवाद अपनी जड़े जमा चुका था। माओवाद की चंगुल में हमारे जनजातीय क्षेत्र, हमारे जनजातीय नौजवान फंसे हुए थे और आज सवा सौ जिलों में से कम होते-होते हम 20 पर ले आए हैं। उन जनजातीय समाज की हमने सबसे बड़ी सेवा की है और आप देखिए एक जमाना था जब बस्तर को याद करते ही माओवाद नक्सलवाद बम-बंदूक की आवाज सुनाई देती थी। उसी बस्तर में माओवाद नक्सल से मुक्त होने के बाद जब बस्तर के नौजवान ओलंपिक करते हैं, हजारों नौजवान भारत माता के जय बोलकर के खेल के मैदान में उतरते हैं, पूरा वातावरण उत्साह से भर जाता है, यह बदलाव देश देख रहा है। जो क्षेत्र कभी रेड कॉरिडोर के रूप में जाने जाते थे, वह आज विकास के ग्रीन कॉरिडोर बन रहे हैं साथियों, हमारे लिए गर्व की बात है। भारत के नक्शे में जिन क्षेत्रों को लहू लुहान कर दिया गया था, लाल रंग से रंग दिया गया था, हमने वहां संविधान, कानून और विकास का तिरंगा फहरा दिया है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
यह भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का अवसर है, तब इन जनजातीय क्षेत्रों को नक्सल से मुक्त कर करके, मेरे जनजातीय परिवार के नौजवानों की जिंदगी बचा करके, हमने भगवान बिरसा मुंडा को एक सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
मैं आज देश के सामने एक चिंता, एक चुनौती के संबंध में आगाह करना चाहता हूं। षड्यंत्र के तहत, सोची समझी साजिश के तहत देश की डेमोग्राफी को बदला जा रहा है। एक नए संकट के बीच बोए जा रहे हैं और यह घुसपैठिए, मेरे देश के नौजवानों के रोजी-रोटी छीन रहे हैं। यह घुसपैठिए मेरे देश की बहन बेटियों को निशाना बना रहे हैं, यह बर्दाश्त नहीं होगा। यह घुसपैठिए भोले भाले आदिवासियों को भ्रमित करके उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। यह देश सहन नहीं करेगा और इसलिए मेरे प्यारे देशवासियों जब डेमोग्राफी परिवर्तन होता है, सीमावर्ती क्षेत्रों में डेमोग्राफी में परिवर्तन होता है, तब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संकट पैदा होता है। देश की एकता, अखंडता और प्रगति के लिए यह संकट पैदा करता है। सामाजिक तनाव के बीज बो देता है और कोई देश अपना देश घुसपैठियों के हवाले नहीं कर सकता है। दुनिया का कोई देश नहीं कर सकता है, तो हम भारत को कैसे कर सकते हैं? हमारे पूर्वजों ने त्याग और बलिदान से आजादी पाई है। हमें स्वतंत्र भारत दिया है, उन महापुरुषों के प्रति हमारा कर्तव्य हैं कि हम हमारे देश में ऐसी हरकतों को स्वीकार न करें, उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी और इसलिए मैं आज लाल किले को प्राचीर से कहना चाहता हूं। हमने एक हाई पावर डेमोग्राफी मिशन शुरू करने का निर्णय किया है। यह मिशन, इस मिशन के द्वारा यह जो भीषण संकट नजर आ रहा है, भारत पर मंडरा रहा है यह जो संकट है, उसको निपटाने के लिए तय समय में सुविचारित निश्चित रूप से अपने कार्य को करेगा, उस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।
मेरे प्यारे देशवासियों,
कल जन्माष्टमी का पावन पर्व है। भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव देश में मनाया जाता है।
साथियों,
जब मुझे भगवान श्री कृष्ण याद आते हैं, तो हम देख रहे हैं कि पूरे विश्व में आज युद्ध के तौर-तरीके बदल रहे हैं। हमने देखा है कि भारत युद्ध के हर नए तौर तरीकों से निपटने में समृद्ध है। हमने ऑपरेशन सिंदूर में दिखा दिया है, टेक्नोलॉजी में जो भी महारत थी। पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों पर, हमारे एयरबेस पर, हमारे संवेदनशील स्थानों पर, हमारे आस्था के केंद्रों पर, हमारे नागरिकों पर मिसाइल्स, ड्रोन अनगिनत मात्रा में उन्होंने वार किया। देश ने देखा है, लेकिन देश को सुरक्षित रखने के जो प्रयास पिछले 10 साल में हुए हैं, उस ताकत का परिणाम था कि उनके हर हमले को हमारे जाबाजों ने और हमारी टेक्नोलॉजी ने तिनके की तरह बिखेर दिया। रत्ती भर नुकसान नहीं कर पाए और इसलिए जब युद्ध के मैदान में टेक्नोलॉजी का विस्तार हो रहा है, टेक्नोलॉजी हावी हो रही है, तब राष्ट्र की रक्षा के लिए, देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए हमें भी हमने जो आज महारत पाई है, उस महारत का और विस्तार करने की जरूरत है। हमने आज जो महारत पाई है, उसको लगातार अपग्रेड करते रहने की आवश्यकता है। और इसलिए साथियों, मैंने एक संकल्प लिया है। मुझे आपके आशीर्वाद चाहिए, कोटि-कोटि देशवासियों का आशीर्वाद चाहिए, क्योंकि समृद्धि कितनी ही क्यों ना हो, अगर सुरक्षा के प्रति उदासीनता बरतते हैं, तो समृद्धि भी किसी काम की नहीं रहती है और इसलिए सुरक्षा का महात्मय बहुत बड़ा है।
और इसलिए मैं आज लाल किले की प्राचीर से कह रहा हूं, आने वाले 10 साल में, 2035 तक राष्ट्र के सभी महत्वपूर्ण स्थलों, जिनमें सामरिक के साथ-साथ सिविलियन क्षेत्र भी शामिल हैं, जैसे अस्पताल हो, रेलवे हो, जो भी आस्था के केंद्र हो, उन्हें टेक्नोलॉजी के नए प्लेटफॉर्म द्वारा पूरी तरह सुरक्षा का कवच दिया जाएगा। यह सुरक्षा का कवच लगातार विस्तार होता जाए, देश का हर नागरिक सुरक्षित महसूस करें, किसी भी प्रकार की टेक्नोलॉजी हम पर वार करने आ जाए, हमारी टेक्नोलॉजी उससे बेहतर सिद्ध हो और इसलिए आने वाले 10 साल, 2035 तक मैं यह राष्ट्रीय सुरक्षा कवच का विस्तार करना चाहता हूं, मजबूती देना चाहता हूं, आधुनिक बनाना चाहता हूं और इसलिए भगवान श्री कृष्ण से प्रेरणा पाकर के हमने श्री कृष्ण का जो सुदर्शन चक्र था, उस सुदर्शन चक्र की राह को चुना है। आप में से बहुत लोगों को याद होगा, जब महाभारत की लड़ाई चल रही थी, श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से सूर्य के प्रकाश को रोक दिया था और दिन में ही अंधेरा कर दिया था। सूर्य प्रकाश को सुदर्शन चक्र से रोक दिया था और तब अर्जुन ने जो शपथ ली थी, जयद्रथ का वध करने की, उस प्रतिज्ञा को अर्जुन पूर्ण कर पाए थे। वह सुदर्शन चक्र के पराक्रम और रणनीति का परिणाम है। अब देश सुदर्शन चक्र मिशन लॉन्च करेगा। यह मिशन सुदर्शन चक्र एक पावरफुल वेपन सिस्टम दुश्मन के हमले को न्यूट्रलाइज तो करेगा ही करेगा, लेकिन कई गुना ज्यादा दुश्मन पर हिट बैक करेगा।
हमने भारत के इस मिशन सुदर्शन चक्र के लिए कुछ मूलभूत बातें भी तय की हैं, आने वाले 10 सालों में हम उसको प्रखरता से आगे बढ़ाना चाहते हैं। एक तो यह पूरी आधुनिक सिस्टम, इसके लिए रिसर्च, डेवलपमेंट, उसके मैन्युफैक्चरिंग हमारे देश में ही हो, हमारे देश के नौजवानों के टैलेंट से हो, हमारे देश के लोगों के द्वारा बनी हो। दूसरा एक ऐसी व्यवस्था होगी, जो वॉरफेयर के हिसाब से भविष्य में क्या-क्या संभावनाएं हैं, उसका हिसाब-किताब लगा करके प्लस वन की स्ट्रेटेजी वर्कआउट करेगी। और तीसरा सुदर्शन चक्र की एक ताकत थी, वह बहुत ही प्रिसाइज़, जहां जाना था, वहीं जाता था और और वापस श्री कृष्ण के पास लौट कर आता था। हम इस सुदर्शन चक्र के द्वारा भी टारगेटेड प्रिसाइज़ एक्शन के लिए भी व्यवस्था को विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे और इसलिए युद्ध के बदलते तौर-तरीकों में राष्ट्र की सुरक्षा, नागरिकों की सुरक्षा के लिए मैं बड़ी प्रतिबद्धता के साथ इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए वचन देता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियों,
जब हम लोकतंत्र की बात करते हैं, स्वतंत्र भारत की बात करते हैं, तब हमारा संविधान हमारे लिए सर्वोत्तम दीप स्तंभ होता है, हमारा प्रेरणा का केंद्र होता है, लेकिन आज से 50 साल पहले भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था। भारत के संविधान की पीठ में छुरा घोंप दिया गया था, देश को जेल खाना बना दिया गया था, आपातकाल लगा दिया गया था, इमरजेंसी थोप दी गई थी। इमरजेंसी के 50 साल हो रहे हैं, देश की किसी भी पीढ़ी को संविधान की हत्या के इस पाप को कभी भूलना नहीं चाहिए। संविधान की हत्या करने वाले पापियों को नहीं भूलना चाहिए और हमें भारत के संविधान के प्रति अपने समर्पण को और मजबूती देते हुए आगे बढ़ना चाहिए, वह हमारी प्रेरणा है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
मैंने इसी लाल किले से पंच प्रण की बात कही थी। मैं आज लाल किले से फिर से एक बार मेरे देशवासियों का पुनः स्मरण जरूर करना चाहता हूं। विकसित भारत बनाने के लिए ना हम रुकेंगे, ना हम झुकेंगे, हम परिश्रम की पराकाष्ठा करते रहेंगे और अपनी आंखों के सामने 2047 में विकसित भारत बना करके रहेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियों,
हमारा दूसरा प्रण है कि हम हमारे जीवन में, हमारी व्यवस्थाओं में, हमारे नियम कानून परंपराओं में, गुलामी का एक भी कण अब बचने नहीं देंगे। हम हर प्रकार की गुलामी से मुक्ति पाकर के ही रहेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियों,
हम अपनी विरासत पर गर्व करेंगे। हमारी इस पहचान का सबसे बड़ा आभूषण, सबसे बड़ा गहना, सबसे बड़ा मुकुटमणि, हमारी विरासत है, हम विरासत का गर्व करेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियों,
इन सबके लिए एकता, यह मंत्र सबसे बड़ा शक्तिशाली मंत्र है और इसलिए एकता की डोर को कोई काट ना सके यह हमारा सामूहिक संकल्प होगा।
मेरे प्यारे देशवासियों,
मां भारती के प्रति कर्तव्य निभाना, यह पूजा से कम नहीं है, तपस्या से कम नहीं है, आराधना से कम नहीं है और उसी भाव से हम सब मातृभूमि के कल्याण के लिए, परिश्रम की पराकाष्ठा करते हुए, 2047 विकसित भारत के लक्ष्य को पार करने के लिए अपने आप को खपा देंगे, अपने आप को झोंक देंगे, जो भी सामर्थ्य हैं, कोई भी अवसर को छोड़ेंगे नहीं, इतना ही नहीं, नए अवसरों का निर्माण करेंगे और निर्मित करने के बाद हम 140 करोड़ देशवासियों के सामर्थ्य से आगे बढ़ते ही रहेंगे, बढ़ते ही रहेंगे, बढ़ते ही रहेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियों,
हमें याद रखना है, 140 करोड़ देशवासियों को याद रखना है, परिश्रम में जो तपा है, परिश्रम में जो तपा है, उसने ही तो इतिहास रचा है। परिश्रम में जो तपा है, उसने ही तो इतिहास रचा है। जिसने फौलादी चट्टानों को तोड़ा है, जिसने फौलादी चट्टानों को तोड़ा है, उसने ही समय को मोड़ा है। जिसने फौलादी चट्टानों को तोड़ा है, उसने ही समय को मोड़ा है। और समय को मोड़ देने का भी समय को मोड़ देने का भी यही समय है, सही समय है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
एक बार फिर आप सबको आजादी के इस महान पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मेरे साथ बोलेंगे,
जय हिंद! जय हिंद! जय हिंद!
भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!
वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!
बहुत-बहुत धन्यवाद!
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- First Published:
August 15, 2025, 13:21 IST
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